भारतीय मान्यता के अनुसार खेल न तो कोई व्यस्त रखने की वस्तु है, न ही कोई व्यवसाय है और न ही समय व्यतीत करने का साधन!वह इन सबसे बहुत ऊपर है। खेल का सीधा संबंध हमारे पंचकोष के साथ है - अधिकतम प्राणमय कोष के साथ है और साथ ही आनंदमय कोष के साथ है। खेल की संरचना मे कुछ सन्देश होता है और कुछ शरीर का व्यायाम होता है। भारतीय खेल 64 कलाओं में भी स्थान पाते हैं। विभिन्न भारतीय खेल, लौकिक और प्रांतीय खेल उनके विवरण, विधि, आदि के साथ यहाँ पाठ्यक्रम रूप में उपलब्ध होंगे।
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