छन्द वेद के छह वेदांगों में से एक है, जो वर्णों की मात्रा, गति, यति और लय के आधार पर वाक्य के विधान को परिभाषित करता है। छन्द का अभ्यास केवल सुंदर वाणी या स्तोत्र पाठ के लिए नहीं, बल्कि स्मृति, मनःसंयम और वैदिक वाचिक परंपरा के प्रशिक्षण का मूल है।
इस श्रेणी में छन्द शास्त्र की मूलभूत रचनाएँ, छन्दों के प्रकार, उच्चारण की पद्धति, ताल-लय की संगति, और उनके अभ्यास के लिए पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे। साथ ही, रघुवीर गद्य, विष्णु सहस्रनाम, रामरक्षा स्तोत्र जैसे प्रसिद्ध छन्दबद्ध स्तोत्रों का छन्दानुसार अभ्यास भी इसमें सम्मिलित है।
यह प्रशिक्षण भारत की प्राचीन वाचिक परंपरा, शास्त्रीय स्मृति शिक्षण और छन्दों की जीवंतता को पुनर्स्थापित करने का एक प्रयास है।

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भगवद्गीता अध्याय सार

Description :  भगवद्गीता जयंती के शुभ अवसर पर संस्कृति आर्य गुरुकुलम्‌ से आचार्य मेहुलभाई आचार्य जी द्वारा गीताजी के “18 अध्याय 18 दिनों में” की व्याख्यान माला यहाँ अध्यायों के रूप में उपलब्ध की जा रही है।

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