भारत के मंदिर हमारी सभ्यता की यात्रा और हमारी संस्कृति के चरमोत्कर्ष के प्रतीक हैं। वो जीवंत विज्ञान हैं और साथ ही कला और स्थापत्य के माध्यम से एक अप्रमेय कथा कहते हैं। इस वर्ग की एक शाखा तृषार के अंतर्जाल भारत-परिक्रमा के ‘मंदिरों का भारत’ के वृतांत होगी और एक शाखा में अन्य पाठ्यक्रमों के तरह विभिन्न ज्ञात-अज्ञात, वर्तमान और लुप्त मंदिरों के विश्लेषण रहेंगे। यहाँ प्रस्तुत अधिकतर वृतांत और पाठ्यक्रम भारत के नागरिकों का योगदान हैं।
Description : प्रस्तुत लेख डॉ तृप्ति मुखर्जी की माँ नर्मदा परिक्रमा और दर्शन की एक यात्रा का वृतांत है, जो ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र, के तट पर चरितार्थ हुई। उन्हीं के शब्दों में “तीर्थाटन! सुनकर ही मैं रोमांचित हो जाती हूं चूंकि अक्सर तीर्थ स्थानों में गुरू या प्रभु मेरा हाथ पकड़ कर गंतव्यों तक मुझे पहुंचा देते हैं, अपना आशीर्वाद दे जाते हैं ।मेरी स्वयं से पहचान करवा देते हैं।”
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