आयुर्वेद के जो प्रामाणिक शास्त्र आधारित ग्रंथ हैं, उनके आधार पर आयुर्वेद की शिक्षा को आयुर्वेदाचार्य आज के काल के अनुरूप समझने योग्य बनाते हैं। विद्या ग्रहण और ग्रंथ अध्ययन की शा
वैदिक पेरेंटिंग वेदों, उपनिषदों, शास्त्रों, रामायण, महाभारत और आधुनिक मनोविज्ञान जैसे ग्रंथों को एकीकृत करके बनाए गए सूत्रों का मिश्रण है, जिसे पूज्य विश्वनाथ गुरुजी ने वर्षों के तप एवं संशोधन से आधुनिक काल के लिए प्रायोगिक रूप में अंकित किया।
जन्म से लेकर वयस्क होने तक बच्चों के पालन-पोषण का सर्वांगी भारतीय ज्ञान-विज्ञान ! जो 10,000 वर्ष से अधिक समय से भारतीय सभ्यता और समाज को टिकाने वाली आदर्श परिवार व्यवस्था के मूल में निहित है।
वैदिक पेरेंटिंग उचित उदाहरणों के साथ माता-पिता को अपने बच्चों के प्रति उचित व्यवहार करने की शिक्षा देने का विज्ञान और कला है। स्त्रीय रीति के अनुरूप यहाँ आयुर्वेद पढ़ाने के विभिन्न पाठ्यक्रम शृंखला तथा स्वतंत्र छोटे पाठ्यक्रमों के रूप में उपलब्ध हैं।
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Description : In this course, parents will get complete information and guidance on the crucial growing up phase of children aged six to ten years. Here we will see what we have to do and what we have to change, to harness the energy of the child and seeding lifelong habits.
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Description : इस पाठ्यक्रम में वैदिक पेरेंटिंग से परिचय होगा और उसकी पृष्ठभूमि और आधुनिक समय में उसकी आवश्यकता पर चर्चा की जाएगी। यह परिवर्तनात्मक पाठ्यक्रम सामान्य क्षेत्र से परे है, जो वर्तमान और भावी माता-पिता दोनों को भारतीय परिवार व्यवस्था की गहरी जड़ों को पुनः दृढ़ करने के लिए एक यात्रा पर आमंत्रित करता है।
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Description : इस कोर्स में अभिभावकों को माता-पिता की बदलती भूमिका और बच्चों के बदलते स्वभाव पर पूरी जानकारी और मार्गदर्शन मिलेगा। इस आयु में पहुँचने पर मनोमय कोष के विकास के अनुरूप किस तरह का सानिध्य कंपनी – मनुष्य का, साहित्य का और मूल्यों का – बच्चों के प्रति प्रसारित किया जाना चाहिए।
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