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मन ही सार है..

मनुष्य तत्व के अंतर्गत ‘मन’ ही सार वस्तु है। इसी औज़ार के सहारे वह छोटे बड़े कार्यों का सम्पादन करता है, पाप-पुण्य, उन्नति-अवनति, सफलता-असफलता, स्वर्ग-नरक की रचना करता है। जिस औज़ार के ऊपर सारा सुख दुख निर्भर है, उसका ठीक प्रकार से प्रयोग करना हर एक व्यक्ति को आना चाहिए। परंतु कितने लोग हैं जो…

पंचकोष विज्ञान और पंचकोष आधारित विकास

मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य क्या है ? जीवन की सार्थकता कहाँ पर है ? विकास का परमोच्च शिखर क्या है ? तृप्ति और आनंद की प्राप्ति किस बिन्दु पर है? इन सब प्रश्नों के जवाब तब मिलते हैं इसकी अनुभूति तब होती है जब हम पंचकोश को जानते हैं। पंचकोश का ज्ञान बहुत ही…

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