अट्ठारह पुराण – उनके नाम

Home [gtranslate] अट्ठारह पुराण – उनके नाम Anshu Dubey August 29, 2021 No Comments हमारे अट्ठारह पुराण मुख्य हैं, जो हमारे इतिहास की श्रेणी में आते हैं (रामायण व महाभारत हमारे अन्य दो मुख्य ऐतिहासिक ग्रंथ हैं)। यदि उनके नामों को जानकर ही अपने इतिहास की जानकारी को आरंभ करना चाहें और विशेषकर बच्चों को बताना चाहें तो सबसे बड़ी कठिनाई उनके नाम याद करने या रखने में आती है। अट्ठारह नाम रटने का बड़ा प्रयत्न करते हैं, पर फिर भी कोई न कोई भूल ही जाते हैं। इन्हें सूत्र रूप में याद रखना बड़ा ही सरल है इस अनुष्टुप छंद के माध्यम से: मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम्। अनापलिंगकूस्कानि पुराणानि पृथक्पृथक् ॥ इसे गाकर याद करेंगे तो और भी सरल होगा। गीता के (अधिकतर) श्लोकों की गायन शैली में ही इन्हें भी गाया जाता है। मद्वयं अर्थात् दो म (से) १. मत्स्य पुराण २. मार्कण्डेय पुराण भद्वयं अर्थात् दो भ (से) ३. भागवत् पुराण ४. भविष्य पुराण ब्रत्रयं अर्थात् तीन ब्र (से) ५. ब्रह्म पुराण ६. ब्रह्माण्ड पुराण ७. ब्रह्मवैवर्त पुराण वचतुष्टयम् अर्थात् चार व (से) ८. विष्णु पुराण ९. वराह पुराण १०. वामन पुराण ११. वायु पुराण (जो विष्णुपुराण के अनुसार शैव पुराण है) अ से एक १२. अग्नि पुराण ना से एक १३. नारद पुराण प से एक १४. पद्म पुराण लिं से एक १५. लिङ्ग पुराण ग से एक १६. गरुड़ पुराण कू से एक १७. कूर्म पुराण स्क से एक १८. स्कन्द पुराण और अंत में इन पुराणों के सार स्वरूप ये सुभाषित है: अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् || अर्थात् : महर्षि वेदव्यास जी ने अठारह पुराणों में दो विशिष्ट बातें कही हैं | पहली –परोपकार करना पुण्य होता है और दूसरी — पाप का अर्थ होता है दूसरों को दुःख देना | तो यदि न किया हो तो स्वयं भी याद करें और बच्चों को भी याद कराएँ। प्रतिदिन एक काम ऐसा करें जो आपके बच्चों को, चाहे वो किसी भी आयु के हों, आपके इतिहास व संस्कृति से अवगत कराए और उनके निकट ले जाए। जिस भारत को इतने गर्व से Indic civilisation कहते हैं, उसके इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम से इतर और उससे पहले बहुत बहुत कुछ है और सही अर्थ में वही हमारे भविष्य की सफलता की कुंजी है। यात्रा जारी है….

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