मंदिरों का भारत

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भारत के मंदिर हमारी सभ्यता की यात्रा और हमारी संस्कृति के चरमोत्कर्ष के प्रतीक हैं। वो जीवंत विज्ञान हैं और साथ ही कला और स्थापत्य के माध्यम से एक अप्रमेय कथा कहते हैं।

इस वर्ग की एक शाखा तृषार के अंतर्जाल भारत-परिक्रमा के ‘मंदिरों का भारत’ हिंदी मे वृतांत होगी और एक शाखा में अन्य पाठ्यक्रमों के तरह विभिन्न ज्ञात-अज्ञात, वर्तमान और लुप्त मंदिरों के विश्लेषण रहेंगे। यहाँ प्रस्तुत अधिकतर वृतांत और पाठ्यक्रम भारत के नागरिकों का योगदान हैं।

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मार्तंड: अविस्मरणीय सूर्य मंदिर

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ज्येष्ठेश्वर - एक प्राचीन शिवालय | लघु चलचित्र (शॉर्ट फिल्म)

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मैकलसुता नर्मदा मैया के दर्शन

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लाखेश्वर महादेव, केराकोट, कच्छ, गुजरात

कच्छ के लाखेश्वर मंदिर का इतिहास

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विष्णुपद मंदिर, गया, बिहार

भगवान विष्णु का ये मंदिर निरंजना (फल्गु) नदी के किनारे अवस्थित है।

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माँ पटनेश्वरी देवी, बिहार

माँ पटनेश्वरी देवी का समावेश 51 शक्तिपीठों में किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दक्ष प्रजापति के प्रसिद्ध यज्ञ के पश्चात पिता द्वारा किये गए शिव के अपमान से…

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कोटाय का शिव मंदिर या सूर्य मंदिर?

कोटाय नामक एक छोटा सा गांव गुजरात राज्य के कच्छ जिले के भुज में स्थित है। यह महज़ एक हजार की आबादी वाला गाँव भुज के जिला मुख्यालय से 24…

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महेंद्रनाथ मंदिर, सीवान, बिहार

कोटाय नामक एक छोटा सा गांव गुजरात राज्य के कच्छ जिले के भुज में स्थित है। यह महज़ एक हजार की आबादी वाला गाँव भुज के जिला मुख्यालय से 24…

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ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित....

आज नागपंचमी और सोमवार का दुर्लभ संयोग है और इसी अवसर पर चलिए जानते हैं भगवान शिव और सर्पराज तक्षक के संबंध की कथा।

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दक्षिण की अयोध्या मदुरांतकम नगरी का एरि कात्त रामर....

यह मंदिर मदुरंतकम झील किनारे के पास स्थित है। मंदिर में करुणाकरमूर्ति की एक छवि भी है। 

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वेंकटीश्वरर शिव मंदिर, मदुरान्तकम्, तमिलनाडु

इस शिवालय का निर्माण गण्डरादित्य चोला ने करवाया था। इस शिव मन्दिर के कारण ही इस स्थान को मदुरान्तक चतुर्वेदी मंगलम कहा जाता था।

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मुंडेश्वरी मंदिर, रामगढ़, बिहार

यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है। मंदिर में देवी की वाराही स्वरुप में पूजा होती है

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श्री मोरेश्वर गणपति, मोरगांव

पौराणिक कथा गणेश पुराणानुसार मिथिला के राजा चक्रपाणि और रानी उग्रा को सूर्य के वरदान से पुत्र प्राप्ति हुई। समुद्र तट पर त्याग दिये गये इस पुत्र का नाम सिंधु…

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श्री सिद्धिविनायक, सिद्धटेक

पौराणिक कथा मुद्गल पुराण में सिद्धिविनायक गणपति की कथा का विस्तार है। सृष्टि के आरंभ में सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी का उद्गम कमल के पुष्प से होता है। और इस कमल पुष्प…

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श्री बल्लाळेश्वर गणपति, पाली

महाराष्ट्र के पाली गाँव में कल्याण नाम के बडे़ व्यापारी अपनी पत्नी ईंदुमती के साथ रहा करते थे। उन्हें गाँव का सफलतम व्यापारी माना जाता था। उनका पुत्र गणेश भक्त…

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श्री वरद विनायक, महड

कौडिन्यपुर के निःसंतान राजा को पुत्रप्राप्ति की कामना थी और ऋषि विश्वामित्र ने उनको गणेश मंत्र से गणेशोपासना का सुझाव दिया। भक्तवत्सल गणपति ने राजा की मनोकामना पूर्ण की, कौडिन्यपुर…

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श्री सिद्धिविनायक मंदिर, थेऊर

जिस गणेश मूर्ति का अनुष्ठान कर के ब्रह्माजी का चित्त शांत हुआ, उस मूर्ति को चिंतामणि मूर्ति कहा गया।

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श्री गिरीजात्मज गणपति, लेण्याद्री

मराठी भाषा में ‘लेणी’ शब्द का अर्थ ही गुफा होता है और इसीलिए सह्याद्री में स्थित गुफाओं को लेण्याद्री कहा गया

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श्री विघ्नेश्वर – ओझर तथा श्री महागणपति – रांजणगाँव

श्री विघ्नेश्वर, ओझर, श्री महागणपति, रांजणगाँव 

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कसबेश्वरी मंदिर, अगरतला

अगरतला से 27 किमी दूर दक्षिणपूर्व दिशा में जिला सिपाहिजला के अंतर्गत एक छोटा गांव है कस्बा,जो बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है। यहां पर एक 527 वर्ष…

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उनोकोटि – सुदूर पूर्व का शिल्प सौंदर्य

सबसे बड़े शिव उकेरण को उनोकोतिश्वर काल भैरव कहते हैं।इनकी ऊंचाई साढ़े तेरह मीटर है। इनके जटा जूट ही साढ़े तीन मीटर ऊंचे हैं।इस शिव उकेरण के वाम भाग से…

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हंशेश्वरी मंदिर, बांसबेरिया, पश्चिम बंगाल

तेरह मीनारों वा रत्नों से सुसज्जित यह मंदिर पाँच तल ऊँचा है। केंद्रीय मीनार की ऊंचाई 90 मीटर है। प्रत्येक रत्न का ऊपरी सिरा प्रस्फुटित पद्म पुष्प के आकार में…

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बुकेश्वर मंदिर, कोरवंगला, कर्णाटक

कर्नाटक में कोरवंगला नामक स्थान पर लगभग एक हजार वर्ष पुराना ऐसा शिव मंदिर है जहां के प्रस्तर नंदी आज भी अपनी धुरी पर घूमते हैं

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108 शिव मंदिर, कालना, पश्चिम बंगाल

मंदिरों के इस नगर की अन्यतम रचना है नव कैलाश मंदिर जो कि 108 टेराकोटा (ईंट) से बने शिव मंदिरों का समूह है।

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चेन्नाकेशव मंदिर, सोमनाथपुरा, कर्णाटक

यवन आक्रांता मालिक काफूर व मुहम्मद बिन तुगलक ने कई बार तोड़ा है

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रणकपुर के जैन मंदिर

मंदिर की मुख्य देहरी में भगवान नेमिनाथ की विशाल भव्य मूर्ति स्थापित है। अन्य मूर्तियों में सहस्त्रकूट, भैरव, हरिहर, सहस्त्रफणा और देपा की मूर्तियाँ उल्लेखनीय है।

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